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शरबत

Posted by Hari Om ~ Saturday 2 February 2013

शरबत

बाजारू ठंडे पेय पदार्थों से स्वास्थ्य को कितनी हानि पहुँचती है यह तो लोग जानते ही नहीं हैं। दूषित तत्त्वों, गंदे पानी एवं अभक्ष्य पदार्थों के रासायनिक मिश्रण से तैयार किये गये अपवित्र बाजारू ठंडे पेय हमारी तंदरुस्ती एवं पवित्रता का घात करते हैं। इसलिए उनका त्याग करके हमें आयुर्वेद एवं भारतीय संस्कृति में वर्णित पेय पदार्थों से ही ठंडक प्राप्त करनी चाहिए। यहाँ कुछ शरबतों की निर्माण-विधि एवं उपयोग की जानकारी दी जा रही हैः-
गुलाब का शरबतः गुलाब जल अथवा नलिकायंत्र (वाष्पस्वेदन यंत्र) द्वारा गुलाब की कलियों के निकाले गये अर्क में मिश्री डालकर उसका पाक तैयार करें। जब जरूरत पड़े तब उसमें ठंडा जल मिलाकर शरबत बना लें।
उपयोगः यह शरबत सुवासित होने के साथ शरीर की गर्मी को नष्ट करता है। अतः ग्रीष्म ऋतु में सेवन करने योग्य है।
अनार का शरबत­- अच्छी तरह से पके हुए 20 अनार के दाने निकालकर उनका रस निकाल लें। उस रस में अदरक डालकर रस गाढ़ा हो जाय तब तक उबालें। उसके बाद उसमें केसर एवं इलायची का चूर्ण मिलाकर शीशी में भर लें।
मात्राः 30 ग्राम।
उपयोगः यह शरबत रूचिकर एवं पित्तशामक होने की वजह से दवा के रूप में भी लिया जा सकता है एवं गर्मी में शरबत के रूप में पीने से गर्मी से राहत मिलती है।
द्राक्ष का शरबतः बीज निकाली हुई 60 ग्राम द्राक्ष को बिजौरे अथवा नींबू के रस में पीसें। उसमें अनार का 240 ग्राम रस डालें। उसके बाद उसे छानकर उसमें स्वादानुसार काला नमक, इलायची, काली मिर्च, जीरा, दालचीनी एवं अजवायन डालकर 60 ग्राम शहद मिलायें।
मात्राः 25 ग्राम।
उपयोगः मंदाग्नि एवं अरूचि में लाभप्रद।
इमली का शरबतः साफ एवं अच्छे गुणवाली 1 किलो इमली लेकर एक पत्थर के बर्तन में दो किलो पानी में 12 घंटे भिगो दें। उसके बाद इमली को हाथ से खूब मसलकर पानी के साथ एकरस कर दें। फिर पानी को मिट्टी के बर्तन में छान लें। उस पानी को कलई किये हुए अथवा स्टील के बर्तन में डालकर उभार आने तक उबालें। फिर उसमें मिश्री डालकर तीन तार की चासनी बनाकर काँच की बरनी में भर लें।
मात्राः 25 से 60 ग्राम।
उपयोगः पित्त प्रकृतिवाले व्यक्ति को रात्रि में सोते समय देने से शौच साफ होगा।
गर्मी में सुबह पीने से लू लगने का भय नहीं रहता।
कब्जियत के रोगी के लिए इसका सेवन लाभदायक है।
पके हुए कैथे(कबीट) का शरबतः यह भी इमली के शरबत की तरह ही बनाया जाता है।
उपयोगः यह शरबत शरीर की गर्मी की दूर करने में अत्यंत उपयोगी है। इसके अलावा पित्तशामक एवं रूचिकर भी है।
नींबू का शरबतः 20 अच्छे एवं बड़े नींबू का रस निकालें। उस रस में 500 ग्राम मिश्री डालकर गाढ़ा होने तक उबालें एवं शीशी में भरकर रख लें।
मात्राः 10 से 25 ग्राम।
उपयोगः अरुचि, मंदाग्नि, उलटी, पित्त के कारण होने वाले सिरदर्द आदि में लाभदायक है।
इसके अलावा यह शरबत आहार के प्रति रूचि एवं भूख उत्पन्न करता है।
कच्चे आम का शरबत (पना)- कच्चे आम को छीलकर पानी में उबालें। उसके बाद ठण्डे पानी में मसल-मसलकर रस बनायें। इस रस में स्वाद के अनुसार नमक, जीरा, गुड़ आदि डालकर पियें।
उपयोगः इस शरबत को पीने से गर्मी से राहत मिलती है। यह अपने देश के शीतल पेयों की प्राचीन परंपरा का एक नुस्खा है जो स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभदायक है।

स्वास्थ्यनाशक, रोगोत्पादक, अपवित्र पदार्थों के मिश्रण से तैयार बाजारू शीतल पेय शरीर तथा मन को हानि पहुँचाते हैं। ऐसे पेयों से सावधान !









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