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नियम छोटे-छोटे, लाभ ढेर सारा

Posted by Hari Om ~ Tuesday 19 February 2013



नियम छोटे-छोटे, लाभ ढेर सारा

हमारा व्यवहार हमारे विचारों का आईना है। ऋषि-मुनियों एवं मनीषियों ने मनुष्य-जीवन में धर्म-दर्शन और मनोविज्ञान के आधार पर शिष्टाचार व अन्य जीवनोपयोगी कई नियम बनाये हैं। इन नियमों के पालन से मनुष्य का जीवन उज्जवल बनता है।

1.सदा संतुष्ट और प्रसन्न रहो। दूसरों की वस्तुओं को देखकर ललचना नहीं।

2.हमेशा सच बोलो। लालच या किसी की धमकी के कारण झूठ का आश्रय न लो।

3.व्यर्थ बातों, व्यर्थ कामों में समय न गँवाओ। कोई बात बिना समझे मत बोलो। नियमित तथा समय पर काम करो।

4.किसी को शरीर से तो मत सताओ पर मन, वचन, कर्म से भी किसी को नहीं सताना चाहिए।

5.जिनके सान्निध्य से हमारे स्वभाव, आचार-व्यवहार में स्वाभाविक ही सकारात्मक परिवर्तन होने लगते हैं,उनका संग करो।

6.श्रीमद् भगवद् गीता,श्री रामचरित मानस, संत श्री आशारामजी बापू, स्वामी रामतीर्थ, आनंदमयी माँ आदि के प्रवचनों से संकलित सत्साहित्य का नित्य पाठ करो।

7.पुस्तकें खुली छोड़कर मत जाओ। धर्मग्रन्थों को स्वयं शुद्ध, पवित्र व स्वच्छ होने पर ही स्पर्श करना चाहिए। उँगली में थूक लगाकर पृष्ठ मत पलटो।

8.नेत्रों की रक्षा के लिए न बहुत तेज प्रकाश में  पढ़ो, न बहुत मंद प्रकाश में। लेटकर, झुककर या पुस्तक को नेत्रों के बहुत नजदीक लाकर नहीं पढ़ना चाहिए।

9.अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को बुधवार व शुक्रवार के अतिरिक्त अन्य दिनों में बाल नहीं कटवाने चाहिए।

10.कहीं से चलकर आने पर तुरंत जल मत पियो, हाथ-पैर मत धोओ और न ही स्नान करो। पहले 15 मिनट विश्राम कर लो, फिर हाथ पैर धोकर, कुल्ला लेकर पानी पियो।

11.वेद-शास्त्र, संत महापुरुष आदि का निंदा-परिहास कभी न करो और न ही सुनो। इनकी निंदा करके अपने पैरों पर कुल्हाड़ी न मारो।

12.आत्मज्ञानी संत-महापुरुषों का सत्संग-श्रवण प्रतिदिन अवश्य करो। सत्संग-श्रवण से उपरोक्त प्रकार की जीवन जीने की कुँजियाँ सहज में प्राप्त होती हैं।




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