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विविध रंगों का विविध प्रभाव

Posted by Hari Om ~ Tuesday 19 February 2013


विविध रंगों का विविध प्रभाव


प्रत्येक रंग का अपना विशेष महत्त्व है एवं रंगों में परिवर्तन के माध्यम से अनेक मनोविकार तथा शारीरिक रोगों का शमन संभव है। विविध रंगों का विविध प्रभाव निम्नानुसार है।
पीला रंगः पीले रंग में क्षमा, गंभीरता, स्थिरता,वैभवशीलता, आदर्श, पुण्य, परोपकार जैसे गुण विद्यमान हैं। इस रंग से उत्साह, संयम और सात्त्विकता बढ़ती है। यह रंग जागृति और कर्मठता का प्रतीक है। इसका प्रेम-भावनाओं से संबंध है। उपासना-अनुष्ठानों में यह बौद्धिक क्षमताओं को विकसित करने वाला, आरोग्यवर्धक तथा विद्यार्थियों के लिए विचारशक्ति, स्मरणशक्ति बढ़ाने में यह विशेष रूप से उपयोगी माना गया है। यह कृमिनाशक भी है।
जिन घरों में कलह होते हैं वहाँ यदि घर की दीवाली पर पीला रंग पोत दिया जाय तो आशा की जाती है कि उपद्रव या मनोमालिन्य शांत हो जायेंगे। अपराधजन्य शिकायतों में,चंचलता, उद्विग्नता, तनाव,वासनात्मक आवेश में पीले रंग से लाभ होता है। गर्भिणी स्त्रियों को पीला रंग अधिक उपयोगी सिद्ध होता है।
नीला रंगः इस रंग से उदारता, व्यापकता, सूक्ष्मता, सौन्दर्य और अंतर्मुखी जीवन की प्रेरणा मिलती है। विद्यार्थियों के चरित्र-निर्माण में नीले रंग का विशेष प्रभाव देखा गया है।
हरा रंगः चंचलता, कामनाशीलता और विनोदप्रियता आदि गुणों से भरपूर है। हरे रंग में ताजगी, प्रसन्नता, आनंद,स्फूर्ति एवं शीतलता का प्रभाव है। प्रकृति की हरियाली देखने पर मन को बड़ी शांति, प्रसन्नता मिलने के साथ जीवन की थकावट दूर होती है। मानसिक शांति के लिए आमतौर से नीले या हरे रंग का प्रयोग किया जा सकता है।
श्वेत रंगः यह ज्ञान, मधुरता, गंभीरता,शांति, शीतलता, सौंदर्य,तृप्ति, शीघ्र प्रभाव और पवित्रता का बोधक है। सफेद रंग में सादगी सात्त्विकता, सरलता की क्षमता है। श्वेत वस्त्र दूसरों के मन में द्वेष, दुर्भाव नहीं लाते।
लाल रंगः आक्रमकता, हिंसा, उग्रता, उत्तेजना, क्रोध,कामविकार, संघर्ष, स्फूर्ति और बहिर्मुखी जीवन का प्रतीक है। लाल रंग के कपड़े पहनने वाले लोग गुस्सेबाज देखे जाते हैं। लाल बल्ब जलाना भी क्रोध को बढ़ाने वाला है। इसलिए लाल कपड़े और लाल बल्ब से अपने को बचाइये।
केसरिया रंगः वीरता और बलिदान का प्रतीक है। इसीलिए लाल व केसरिया दोनों रंग युद्ध में प्रयुक्त होते हैं।
गुलाबी रंगः गुलाबी रंग में आशाएँ, उमंगे और सृजन की मनोभूमि बनाने की विशेषता है। गुलाबी प्रकाश से पौधे अच्छी तरह उगते हैं, पक्षियों की संख्या में वृद्धि होती है, ज्वर, छोटी चेचक, कैंसर जैसी बीमारियों पर भी आशातीत लाभ होता है।
गेरूआ रंगः यह रंग पवित्र, सात्त्विक जीवन के प्रति श्रद्धा, प्रेम भाव जगाता है। इसलिए धार्मिक दृष्टि से इस रंग का महत्त्व हिन्दू धर्म ने स्वीकारा है।
चाकलेटी रंगः इसमें एकता, ईमानदारी, सज्जनता के गुण हैं।
काला रंगः तमोगुणी रंग है। इससे निराशा, शोक, दुःख एवं बोझिल मनोवृत्ति का परिचय मिलता है।
नारंगी रंगः जीवन में आत्म-विश्वास तथा साहस की जानकारी देता है। नारंगी रंग मनीषा चिह्न है। साधु, संत, त्यागी, वैरागी लोकसेवी इसे सम्मानपूर्वक धारण करते हैं।
नारंगी रंग की बोतल में सूर्यकिरणों में रखा हुआ पानी खाँसी, बुखार, न्यूमोनिया, श्वासरोग, गैस बनना, हृदयरोग, अजीर्ण आदि रोगों में लाभदायक है। इससे रक्तकणों की कमी की पूर्ति होती है। इसका सेवन माँ के स्तनों में दूध की वृद्धि करता है।




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