LATEST NEWS

बच्चों के सोने के आठ ढंग

Posted by Hari Om ~ Friday 22 February 2013



बच्चों के सोने के आठ ढंग

1.      कुछ बच्चे पीठ के बल सीधे सोते हैं। अपने दोनों हाथ ढीले छोड़कर या पेट पर रख लेते हैं। यह सोने का सबसे अच्छा और आदर्श तरीका है। प्रायः इस प्रकार सोने वाले बच्चे अच्छे स्वास्थ्य के स्वामी होते हैं। न कोई रोग न कोई मानसिक चिंता। इन बच्चों का विकास अधिकतर रात्रि में होता ही है।

2.      कुछ बच्चे सोते वक्त अपने दोनों हाथ उठाकर सिर पर ऱख लेते हैं। इस प्रकार शांति और आराम प्रदर्शित करने वाला बच्चा अपने वातावरण से संतोष, शांति चाहता है। अतः बड़ा होने पर उसे किसी जिम्मेदारी का काम एकदम न सौंप दे, क्योकि ऐसे बच्चे प्रायः कमजोर संकल्पशक्तिवाले होते हैं। उसे बचपन से ही अपना काम स्वयं करने का अभ्यास करवायें ताकि धीरे-धीरे उसके अंदर संकल्पशक्ति और आत्मविश्वास पैदा हो जाए।

3.      कुछ बच्चे पेट के बल लेटकर अपना मुँह तकिये पर इस प्रकार रख लेते हैं मानो तकिये को चुम्बन कर रहे हों। यह स्नेह का प्रतीक है। उनकी यह चेष्टा बताती है कि बच्चा स्नेह का भूखा है। वह प्यार चाहता है। उससे खूब प्यार करें, प्यारभरी बातों से उसका मन बहलायें। उसको प्यार की दौलत मिल गयी तो उसकी इस प्रकार सोने की आदत अपने-आप दूर हो जाएगी।

4.      कुछ बच्चे तकिये से लिपटकर या तकिये को सिर के ऊपर रखकर सोते हैं। यह बताता है कि बच्चे के मस्तिष्क में कोई गहरा भय बैठा हुआ है। बड़े प्यार से छुपा हुआ भय जानने और उसे दूर करने का शीघ्रातिशीघ्र प्रयत्न करें ताकि बच्चे का उचित विकास हो। किसी सदगुरू से प्रणव का मंत्र दिलवाकर जाप करावें ताकि उसका भावि जीवन किसी भय से प्रभावित न हो।

5.      कुछ बच्चे करवट लेकर दोनों पाँव मोड़कर सोते हैं। ऐसे बच्चे अपने बड़ों से सहानुभूति और सुरक्षा के अभिलाषी होते हैं। स्वस्थ और शक्तिशाली बच्चे भी इस प्रकार सोते हैं। उन बच्चों को बड़ों से अधिक स्नेह और प्यार मिलना चाहिए।

6.      कुछ बच्चे तकिये या बिस्तर की चादर में छुपकर सोते हैं। यह इस बात का संकेत है कि वे लज्जित हैं। अपने वातावरण से प्रसन्न नहीं हैं। घर में या बाहर उनके मित्रों के साथ ऐसी बाते हो रहीं हैं, जिनसे वे संतुष्ट या प्रसन्न नहीं हैं। उनसे ऐसा कोई शारीरिक दोष, कुकर्म या कोई ऐसी छोटी-मोटी गलती हो गयी है जिसके कारण वे मुँह दिखाने के काबिल नहीं हैं। उनको उस ग्लानि से मुक्त कीजिए। उनको चारित्र्यवान और साहसी बनाइये.

7.      कुछ बच्चे तकिय, चादर और बिस्तर तक रौंद डालते हैं। कैसी भी ठंडी या गर्मी हो, वे बड़ी कठिनाई से रजाई या चादर आदि ओढ़ना सहन करते हैं। वे एक जगह जमकर नहीं सोते, पूरे बिस्तर पर लोट-पोट होते हैं। माता-पिता और अन्य लोगों पर अपना हुकुम चलाने का प्रयत्न करते हैं। ऐसे बच्चे दबाव या जबरदस्ती कोई काम नहीं करेंगे। बहुत ही स्नेह से, युक्ति से उनका सुधार होना चाहिए।

8.      कुछ बच्चे तकिये या चादर से अपना पूरा शरीर ढंककर सोते हैं। केवल एक हाथ बाहर निकालते हैं। यह इस बात का प्रतीक है कि बच्चा घर के ही किसी व्यक्ति या मित्र आदि से सख्त नाराज़ रहता है। वह किसी भीतरी दुविधा का शिकार है। ऐसे बच्चों का गहरा मन चाहता है कि कोई उनकी बातें और शिकायतें बैठकर सहानुभूति से सुने, उनकी चिंताओं का निराकरण करे।

ऐसे बच्चों के गुस्से का भेद प्यार से मालूम कर लेना चाहिए, उनको समझा-बुझाकर उनकी रूष्टता दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए। अन्यथा ऐसे बच्चे आगे चलकर बहुत भावुक और क्रोधी हो जाते हैं,जरा-जरा सी बात पर भड़क उठते हैं।

ऐसे बच्चे चबा-चबाकर भोजन करें, ऐसा ध्यान रखना चाहिए। गुस्सा आये तब हाथ की मुट्ठियाँ इस प्रकार भीँच देनी चाहिए ताकि नाखूनों का बल हाथ की गद्दी पर पड़े.... ऐसा अभ्यास बच्चों में डालना चाहिए। शांतिः शांतिः... का पावन जप करके पानी में दृष्टि डालें और वह पानी उन्हें पिलायें। बच्चे स्वयं यह करें तो अच्छा है,नहीं तो आप करें।

संसार के सभी बच्चे इन आठ तरीकों से सोते हैं। हर तरीका उनकी मानसिक स्थिति और आन्तरिक अवस्था प्रकट करता है। माता-पिता उनकी अवस्था को पहचान कर यथोचित उनका समाधान कर दें तो आगे चलकर ये ही बच्चे सफल जीवन बिता सकते हैं।





Categories
Tags

Related Posts

No comments:

Leave a Reply

Labels

Advertisement
Advertisement

teaser

teaser

mediabar

Páginas

Powered by Blogger.

Link list 3

Blog Archive

Archives

Followers

Blog Archive

Search This Blog