LATEST NEWS

अण्डा जहर है

Posted by Hari Om ~ Thursday 21 February 2013


अण्डा जहर है

भारतीय जनता की संस्कृति और स्वास्थ्य को हानि पहुँचाने का यह एक विराट षडयंत्र है। अंडे के भ्रामक प्रचार से आज से दो-तीन दशक पहले जिन परिवारों को रास्ते पर पड़े अण्डे के खोल के प्रति भी ग्लानि का भाव था, इसके विपरीत उन परिवारों में आज अंडे का इस्तेमाल सामान्य बात हो गयी है।

अंडे अपने अवगुणों से हमारे शरीर के जितने ज़्यादा हानिकारक और विषैले हैं उन्हें प्रचार माध्यमों द्वारा उतना ही अधिक फायदेमंद बताकर इस जहर को आपका भोजन बनानो की साजिश की जा रही है।

अण्डा शाकाहारी नहीं होता लेकिन क्रूर व्यावसायिकता के कारण उसे शाकाहारी सिद्ध किया जा रहा है। मिशिगन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने पक्के तौर पर साबित कर दिया है कि दुनिया में कोई भी अण्डा चाहे वह सेया गया हो या बिना सेया हुआ हो, निर्जीव नहीं होता। अफलित अण्डे की सतह पर प्राप्त इलैक्ट्रिक एक्टिविटी को पोलीग्राफ पर अंकित कर वैज्ञानिकों ने यह साबित कर दिया है कि अफलित अण्डा भी सजीव होता है। अण्डा शाकाहार नहीं, बल्कि मुर्गी का दैनिक (रज) स्राव है।

यह सरासर गलत व झूठ है कि अण्डे में प्रोटीन, खनिज, विटामिन और शरीर के लिए जरूरी सभी एमिनो एसिडस भरपूर हैं और बीमारों के लिए पचने में आसान है।

शरीर की रचना और स्नायुओं के निर्माण के लिए प्रोटीन की जरूरत होती है। उसकी रोजाना आवश्यकता प्रति कि.ग्रा. वजन पर 1 ग्राम होती है यानि 60 किलोग्राम वजन वाले व्यक्ति को प्रतिदिन 60 ग्राम प्रोटीन की जरूरत होती है जो 100 ग्राम अण्डे से मात्र 13.3 ग्राम ही मिलता है। इसकी तुलना में प्रति 100 ग्राम सोयाबीन से 43.2 ग्राम, मूँगफली से 31.5 ग्राम, मूँग और उड़द से 24, 24 ग्राम तथा मसूर से 25.1 ग्राम प्रोटीन प्राप्त होता है। शाकाहार में अण्डा व मांसाहार से कहीं अधिक प्रोटीन होते हैं। इस बात को अनेक पाश्चात्य वैज्ञानिकों ने प्रमाणित किया है।

केलिफोर्निया के डियरपार्क में सेंट हेलेना हॉस्पिटल के लाईफ स्टाइल एण्ड न्यूट्रिशन प्रोग्राम के निर्देशक डॉ. जोन ए. मेक्डूगल का दावा है कि शाकाहार में जरूरत से भी ज्यादा प्रोटीन होते हैं।
1972 में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के ही डॉ. एफ. स्टेर ने प्रोटीन के बारे में अध्ययन करते हुए प्रतिपादित किया कि शाकाहारी मनुष्यों में से अधिकांश को हर रोज की जरूरत से दुगना प्रोटीन अपने आहार से मिलता है। 200 अण्डे खाने से जितना विटामिन सी मिलता है उतना विटामिन सी एक नारंगी (संतरा) खाने से मिल जाता है। जितना प्रोटीन तथा कैल्शियम अण्डे में हैं उसकी अपेक्षा चने, मूँग, मटर में ज्यादा है।

ब्रिटिश हेल्थ मिनिस्टर मिसेज एडवीना क्यूरी ने चेतावनी दी कि अण्डों से मौत संभावित है क्योंकि अण्डों में सालमोनेला विष होता है जो कि स्वास्थ्य की हानि करता है। अण्डों से हार्ट अटैक की बीमारी होने की चेतावनी नोबेल पुरस्कार विजेता अमेरिकन डॉ. ब्राउन व डॉ. गोल्डस्टीन ने दी है क्योंकि अण्डों में कोलेस्ट्राल भी बहुत पाया जाता है.

डॉ. पी.सी. सेन, स्वास्थ्य मंत्रालय, भारत सरकार ने चेतावनी दी है कि अण्डों से कैंसर होता है क्योंकि अण्डों में भोजन तंतु नहीं पाये जाते हैं तथा इनमें डी.डी.टी. विष पाया जाता है।
जानलेवा रोगों की जड़ हैः अण्डा। अण्डे व दूसरे मांसाहारी खुराक में अत्यंत जरूरी रेशातत्त्व (फाईबर्स) जरा भी नहीं होते हैं। जबकि हरी साग, सब्जी, गेहूँ, बाजरा, मकई, जौ, मूँग, चना, मटर, तिल, सोयाबीन, मूँगफली वगैरह में ये काफी मात्रा में होते हैं।

अमेरिका के डॉ. राबर्ट ग्रास की मान्यता के अनुसार अण्डे से टी.बी. और पेचिश की बीमारी भी हो जाती है। इसी तरह डॉ. जे. एम. विनकीन्स कहते हैं कि अण्डे से अल्सर होता है।

मुर्गी के अण्डों का उत्पादन बढ़े इसके लिये उसे जो हार्मोन्स दिये जाते हैं उनमें स्टील बेस्टेरोल नामक दवा महत्त्वपूर्ण है। इस दवावाली मुर्गी के अण्डे खाने से स्त्रियों को स्तन का कैंसर, हाई ब्लडप्रैशर, पीलिया जैसे रोग होने की सम्भावना रहती है। यह दवा पुरूष के पौरूषत्व को एक निश्चित अंश में नष्ट करती है। वैज्ञानिक ग्रास के निष्कर्ष के अनुसार अण्डे से खुजली जैसे त्वचा के लाइलाज रोग और लकवा भी होने की संभावना होती है।

अण्डे के गुण-अवगुण का इतना सारा विवरण पढ़ने के बाद बुद्धिमानों को उचित है कि अनजानों को इस विष के सेवन से बचाने का प्रयत्न करें। उन्हें भ्रामक प्रचार से बचायें। संतुलित शाकाहारी भोजन लेने वाले को अण्डा या अन्य मांसाहारी आहार लेने की कोई जरूरत नहीं है। शाकाहारी भोजन सस्ता, पचने में आसान और आरोग्य की दृष्टि से दोषरहित होता है। कुछ दशक पहले जब भोजन में अण्डे का कोई स्थान नहीं था तब भी हमारे बुजुर्ग तंदरूस्त रहकर लम्बी उम्र तक जीते थे। अतः अण्डे के उत्पादकों और भ्रामक प्रचार की चपेट में न आकर हमें उक्त तथ्यों को ध्यान में रखकर ही अपनी इस शाकाहारी आहार संस्कृति की रक्षा करनी होगी।

आहार शुद्धौ सत्व शुद्धिः।
1981 में जामा पत्रिका में एक खबर छपी थी। उसमें कहा गया था कि शाकाहारी भोजन 60 से 67 प्रतिशत हृदयरोग को रोक सकता है। उसका कारण यह है कि अण्डे और दूसरे मांसाहारी भोजन में चर्बी ( कोलेस्ट्राल) की मात्रा बहुत ज्यादा होती है।

केलिफोर्निया की डॉ. केथरीन निम्मो ने अपनी पुस्तक हाऊ हेल्दीयर आर एग्ज़ में भी अण्डे के दुष्प्रभाव का वर्णन किया गया है।

वैज्ञानिकों की इन रिपोर्टों से सिद्ध होता है कि अण्डे के द्वारा हम जहर का ही सेवन कर रहे हैं। अतः हमको अपने-आपको स्वस्थ रखने व फैल रही जानलेवा बीमारीयों से बचने के लिए ऐसे आहार से दूर रहने का संकल्प करना चाहिए व दूसरों को भी इससे बचाना चाहिए।




Categories
Tags

Related Posts

No comments:

Leave a Reply

Labels

Advertisement
Advertisement

teaser

teaser

mediabar

Páginas

Powered by Blogger.

Link list 3

Blog Archive

Archives

Followers

Blog Archive

Search This Blog