बुखार (Fever)
बुखार (Fever)
सादा बुखार
सादे बुखार में उपवास अत्यधिक लाभदायक है। उपवास के बाद पहले थोड़े दिन मूँग लें फिर सामान्य खुराक शुरु करें। ऋषि चरक ने लिखा है कि बुखार में दूध पीना सर्प के विष के समान है अतः दूध का सेवन न करें।
पहला प्रयोगः सोंठ, तुलसी, गुड़ एवं काली मिर्च का 50 मि.ली काढ़ा बनाकर उसमें आधा या 1 नींबू निचोड़कर पीने से सादा बुखार मिटता है।
दूसरा प्रयोगः शरीर में हल्का बुखार रहने पर, थर्मामीटर द्वारा बुखार न बताने पर थकान, अरुचि एवं आलस रहने पर संशमनी की दो-दो गोली सुबह और रात्रि में लें। 7-8 कड़वे नीम के पत्ते तथा 10-12 तुलसी के पत्ते खाने से अथवा पुदीना एवं तुलसी के पत्तों के एक तोला रस में 3 ग्राम शक्कर डालकर पीने से हल्के बुखार में खूब लाभ होता है।
तीसरा प्रयोगः कटुकी, चिरायता एवं इन्द्रजौ प्रत्येक की 2 से 5 ग्राम को 100 से 400 मि.ली. पानी में उबालकर 10 से 50 मि.ली. कर दें। यह काढ़ा बुखार की रामबाण दवा है।
चौथा प्रयोगः बुखार में करेले की सब्जी लाभकारी है।
पाँचवाँ प्रयोगः मौठ या मौठ की दाल का सूप बनाकर पीने से बुखार मिटता है। उस सूप में हरी धनिया तथा मिश्री डालने से मुँह अथवा मल द्वारा निकलता खून बन्द हो जाता है।
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सन्निपात ज्वर
कई बार सन्निपात अथवा गंभीर बुखार में मरीज देखने,सुनने और बोलने की शक्ति खो बैठता है। नाड़ी की धड़कन बंद हो जाती है। रोगी मृत्यु के मुख में जाता हुआ दिखता है। ऐसे समय में 100 ग्राम पानी में 20 लाल मिर्च का काढ़ा बनाकर थोड़ी-थोड़ी देर में एक – एक चम्मच पानी पिलाने से संभव है, मरीज को नया जीवन मिल जाये।
दोनों नथुनों के बीच के नीचे के हिस्से में (ओंठों के ऊपर एवं नाक के बिल्कुल नीचे) दबाव डालने से संभव है रोगी होश में आ जाये।
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जीर्ण ज्वर
लक्षण: शरीर में हल्का दर्द, आँखों में जलन,पेशाब में पीलापन, पीठ में दर्द।
पहला प्रयोगः पलाश के फूलों का 1 से 2 ग्राम चूर्ण दूध-मिश्री के साथ लेने से गर्मी तथा जीर्णज्वर में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः दूध में 6 रत्ती (750 मिलीग्राम) लेंडीपीपर का चूर्ण उबालकर पीने से या आधा से 2 ग्राम शीतोपलादि चूर्ण अथवा गुडुच (गिलोय) का आधा से 1 ग्राम सत्व (अर्क) या आँवले का 1 से 2 ग्राम चूर्ण लेने से जीर्ण ज्वर में लाभ होता है।
तीसरा प्रयोगः काला जीरा, चिरायता और कटुकी एक-एक चम्मच लेकर इन सबको रात्रि में भिगोकर सुबह 500 ग्राम पानी में तब तक उबालें जब तक पानी केवल दो चम्मच रह जाये। उस पानी को सुबह पीने से जीर्णज्वर में लाभ होता है।
चौथिया ज्वरः दूध में पुनर्नवा (विषखपरा) की 1 से 2 ग्राम जड़ का सेवन करने से चौथिया ज्वर में लाभ होता है।
टायफाईड
चार-पाँच दिन उपवास करने से टायफाईड नियंत्रित होता है। इस रोग में मूँग का पानी या चावल की राब ही एकमात्र ऐसा आहार है जो रोगी के रोग को मंद करके शक्ति प्रदान करता है।
तुलसी के सात पत्ते, खूबकला छः ग्राम, उन्नाव 4 नग एवं सात मुनक्के पीसकर 2 तोला पानी में मिलाकर,सुखाकर सुबह-शाम देने से बुखार का वेग शांत होता है।
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सर्दी का बुखार
पहला प्रयोगः 6 ग्राम सोंठ के साथ 2 ग्राम दालचीनी का 20 से 50 मि.ली. काढ़ा या आधा से 2 ग्राम पीपर के साथ निर्गुण्डी का 20 से 50 मि.ली. रस पीने से सर्दी के बुखार में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः 1 से 2 ग्राम तुलसी, 2 से 5 ग्राम अदरक एवं आधा से 2 ग्राम मुलहठी को घोंटकर 2 से 5 ग्राम शहद के साथ सेवन करने से लाभ होता है। सर्दी के बुखार में किसी अनुभवी वैद्य के परामर्श से त्रिभुवनकीर्तिरस एवं लक्ष्मीविलासरस ले सकते हैं।
तीसरा प्रयोगः सर्दी के बुखार की गंभीर हालत में अजवाइन एवं नमक को सेंककर उसकी गरम-गरम पोटली छाती पर रखने से कफ पिघलकर वेदना शांत होती है।
चौथा प्रयोगः अदरक व पुदीने का काढ़ा देने से पसीना आकर ज्वर उतर जाता है। शीतज्वर में लाभप्रद है।
पित्तज्वर
सौंफ तथा धनिया के काढ़े में मिश्री मिलाकर पीने से पित्तज्वर का शमन होता है।
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न्यूमोनिया
पुदीना का ताजा रस शहद के साथ मिलाकर दो-तीन घंटे के अंतराल से देते रहने से न्यूमोनिया से होने वाले अनेक विकारों की रोकथाम होती है और ज्वर शीघ्रता से मिट जाता है।
सर्व प्रकार के बुखार की रामबाण दवा
पहला प्रयोगः दो तोला कुटी हुई गुडुच (गिलोय) को रात्रि में थोड़े पानी में भिगोकर सुबह मसल-छानकर पीने से सब प्रकार के बुखार में लाभ होता है।
दूसरा प्रयोगः 30 से 40 मुनक्कों को लगभग 250 ग्राम पानी में रात को भिगो दें। सुबह उसे खूब उबालकर उसके बीज निकालकर खा जायें और वही पानी पी जायें। इससे शरीर में बल और स्फूर्ति का संचार होगा। रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ेगी और ज्वर का उन्मूलन हो जायेगा।
तीसरा प्रयोगः रात्रि में 25 ग्राम सोंफ पानी में भिगोकर रखें। सुबह उसी पानी में उबालें। उबल जाने पर सोंफ को खूब मसलकर उसका पानी छान लें। इस पानी में 4 मूँग भार (200-250 मि.ग्राम) जितनी फुलायी हुई लाल फिटकरी का चूर्ण डालकर सुबह खाली पेट 40 दिन तक पीने से पुराने से पुराना किसी भी प्रकार का बुखार मिटता है। इस प्रयोग से 20 वर्ष पुरानी कब्जियत भी दूर हो जाती है।
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