LATEST NEWS

मेथी(Fenugreek)

Posted by Hari Om ~ Tuesday 22 January 2013

मेथी(Fenugreek)

आहार में हरी सब्जियों का विशेष महत्त्व है। आधुनिक विज्ञान के मतानुसार हरे पत्तों वाली सब्जियों में क्लोरोफिल नामक तत्त्व रहता है जो कि जंतुओं का प्रबल नाशक है। दाँत एवं मसूढ़ों में सड़न उत्पन्न करने वाले जंतुओं को यह नष्ट करता है। इसके अलावा इसमें प्रोटीन तत्त्व भी पाया जाता है।
हरी सब्जियों में लौह तत्त्व भी काफी मात्रा में पाया जाता है, जो पांडुरोग (रक्ताल्पता) व शारीरिक कमजोरी को नष्ट करता है। हरी सब्जियों में स्थित क्षार, रक्त की अम्लता को घटाकर उसका नियमन करता है।
हरी सब्जियों में मेथी की भाजी का प्रयोग भारत के प्रायः शबी भागों में बहुलता से होता है। इसको सुखाकर भी उपयोग किया जाता है। इसके अलावा मेथीदानों का प्रयोग छौंक में तथा कई औषधियों के रूप में भी किया जाता है। ठंडी के दिनों में इसका पाक बनाकर भी सेवन किया जाता है।
वैसे तो मेथी प्रायः हर समय उगायी जा सकती है फिर भी मार्गशीर्ष से फाल्गुन महीने तक ज्यादा उगायी जाती है। कोमल पत्तेवाली मेथी कम कड़वी होती है।
मेथी की भाजी तीखी, कड़वी, रुक्ष, गरम, पित्तवर्धक, अग्निदीपक (भूखवर्धक), पचने में हलकी, मलावरोध को दूर करने वाली, हृदय के लिए हितकर एवं बलप्रद होती है। सूखे मेथी दानों की अपेक्षा मेथी की भाजी कुछ ठण्डी, पाचनकर्ता, वायु की गति ठीक करने वाली औल सूजन मिटाने वाली है। मेथी की भाजी प्रसूता स्त्रियों, वायुदोष के रोगियों एवं कफ के रोगियों के लिए अत्यंत हितकर है। यह बुखार, अरुचि, उलटी, खाँसी, वातरक्त (गाउट), वायु, कफ, बवासीर, कृमि तथा क्षय का नाश करने वाली है। मेथी पौष्टिक एवं रक्त को शुद्ध करने वाली है। यह शूल, वायुगोला, संधिवात, कमर के दर्द, पूरे शरीर के दर्द, मधुप्रमेह एवं निम्न रक्तचाप को मिटाने वाली है। मेथी माता दूध बढ़ाती है, आमदोष को मिटाती है एवं शरीर को स्वस्थ बनाती है।
औषधि-प्रयोगः
कब्जियतः कफदोष से उत्पन्न कब्जियत में प्रतिदिन मेथी की रेशेवाली सब्जी खाने से लाभ होता है।
बवासीरः प्रतिदिन मेथी की सब्जी का सेवन करने से वायु कफ के बवासीर में लाभ होता है।
बहूमूत्रताः जिन्हें एकाध घंटे में बार-बार मूत्रत्याग के लिए जाना पड़ता हो अर्थात् बहुमूत्रता का रोग हो उन्हें मेथी की भाजी के 100 मि.ली. रस में डेढ़ ग्राम कत्था तथा 3 ग्राम मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सेवन करना चाहिए। इससे लाभ होता है।
मधुमेहः प्रतिदिन सुबह मेथी की भाजी का 100 मि.ली. रस पी जायें या उसके बीज रात को भिगोकर सुबह खा लें और पानी पी लें। रक्त-शर्करा की मात्रा ज्यादा हो तो सुबह शाम दो बार रस पियें। साथ ही भोजन में गेहूँ, चावल एवं चिकनी (घी-तेल युक्त) तथा मीठी चीजों का सेवन न करने से शीघ्र लाभ होता है।
निम्न रक्तचापः जिन्हें निम्न रक्तचाप की तकलीफ हो उनके लिए मेथी की भाजी में अदरक, लहसुन, गरम मसाला आदि डालकर बनायी गयी सब्जी का सेवन लाभप्रद है।
कृमिः बच्चों के पेट में कृमि हो जाने पर उन्हें मेथी की भाजी का 1-2 चम्मच रस रोज पिलाने से लाभ होता है।
सर्दी-जुकामः कफदोष के कारण जिन्हें हमेशा सर्दी-जुकाम-खाँसी की तकलीफ बनी रहती हो उन्हें तिल अथवा सरसों के तेल में गरम मसाला, अदरक एवं लहसुन डालकर बनायी गयी मेथी की सब्जी का प्रतिदिन सेवन करना चाहिए।

वायु का दर्दः रोज हरी अथवा सूखी मेथी का सेवन करने से शरीर के 80 प्रकार के वायु के रोगों में लाभ होता है।
आँव होने परः मेथी की भाजी के 50 मि.ली. रस में 6 ग्राम मिश्री डालकर पीने से लाभ होता है। 5 ग्राम मेथी का पाउडर 100 ग्राम दही के साथ सेवन करने से भी लाभ होता है। दही खट्टा नहीं होना चाहिए।
हाथ-पैर का दर्दः वायु के कारण होने वाले हाथ-पैर के दर्द में मेथीदानों को घी में सेंककर उनका चूर्ण बनायें एवं उसके लड्डू बनाकर प्रतिदिन एक लड्डू का सेवन करें तो लाभ होता है।
लू लगने परः मेथी की सूखी भाजी को ठंडे पानी में भिगोयें। अच्छी तरह भीग जाने पर मसलकर छान लें एवं उस पानी में शहद मिलाकर एक बार रोगी को पिलायें तो लू में लाभ होता है।







Related Posts

No comments:

Leave a Reply

Labels

Advertisement
Advertisement

teaser

teaser

mediabar

Páginas

Powered by Blogger.

Link list 3

Blog Archive

Archives

Followers

Blog Archive

Search This Blog