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बेदानाः एक अदभुत औषधि

Posted by Hari Om ~ Sunday, 10 February 2013


बेदानाः एक अदभुत औषधि


ग्रीष्म ऋतु जहाँ अनेक बीमारियों को साथ लाती है, वहीं इस ऋतु में शरीर तथा मन की शीतलता सभी लोग चाहते हैं। इस मौसम में हमारे स्वास्थ्य के लिए शीतल पेय पदार्थों की बड़ी आवश्यकता होती है। इसके लिए लोग पेप्सी, कोका कोला आदि कोल्ड ड्रिन्कस का सेवन करते हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक होते हैं। इन पेय पदार्थों में कार्बन डाइआक्साईड होने के कारण खुश्की, पेट की विभिन्न बीमारियाँ और अन्य कई रोग पैदा हो जाते हैं।
किन्तु बेदाना का प्रयोग हमारे ऋषियों की एक अदभुत खोज है। कुछ ही दिनों में उसका प्रत्यक्ष प्रमाण हमारे सामने आता है। यह एक वनस्पति का बीज है जो कि बाजार में बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
विधिः मिट्टी के बर्तन में थोड़ा पानी लेकर उसमें बेदाना डाल दें। एक व्यक्ति को एक दिन में 5-7 ग्राम बेदाना का प्रयोग करना चाहिए। रात भर पानी में रखने के बाद सुबह उसे मथनी से खूब मथ लें। फिर एक साफ कपड़े से छानकर पुनः उसी मिट्टी के बर्तन में उसका रस निकाल लें। तत्पश्चात् उसमें आवश्यकतानुसार मिश्री अच्छी तरह से मिला लें। प्रातःकाल बिना कुछ खाये-पिये इसका उपयोग करें। इसके पश्चात् लगभग डेढ़ घण्टे तक कुछ खायें-पियें नहीं। एक सप्ताह तक लगातार इसका उपयोग करें।
लाभः शरीर को शीतल रखने का यह एक अदभुत प्रयोग है। इसके उपयोग से शरीर की गर्मी शांत होती है। पेट की बीमारियाँ जैसे, कब्ज, अम्लपित्त आदि रोगों के लिए भी यह रामबाण है। यह औषधि कमजोरी तथा आलस्य को दूर कर शरीर में अदभुत शक्ति का संचार करती है। इसका एक सप्ताह का प्रयोग पूरे गर्मी के मौसम में आपके शरीर को गर्मी के प्रकोप से बचाकर शीतलता प्रदान करता है।
पेय पदार्थों के रूप में बिकनेवाले जहर का प्रयोग बन्द करके आयुर्वेद के इस अनमोल रत्न का प्रयोग करके, आप स्वस्थ रह सकते हैं। हर प्रकार का व्यक्ति इसका सेवन कर सकता है। आपका शरीर स्वस्थ, मन प्रसन्न तथा वृत्ति शांत होने लगेगी।
अंग्रेजी दवाइयों के कुप्रभाव से, Side Effect से किडनी और लीवर कमजोर हो जाते हैं और हृदय की अनेक बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती हैं। लेकिन इस प्राकृतिक औषधि 'बेदाना' के प्रयोग से किडनी और लीवर को लाभ होगा। पित्तदोष से होनेवाले अनेक छोटे-मोटे रोगों में, जैसे कि महिलाओं में गर्मी से होनेवाले रक्तस्राव आदि में इसके एक-दो दिन के प्रयोग से ही चमत्कारिक प्रभाव दिखाई देने लगता है। लीवर और किडनी के लिए तो यह 'बेदाना' आशीर्वादरूप है।
सारी बीमारियाँ, वात, पित्त और कफ-इन तीन दोषों से ही होती हैं। पित्त दोष से होने वाली तमाम बीमारियों को यह 'बेदाना' नष्ट करता है। यकृत, गुर्दा और किडनी के रोग इससे मिटते हैं।
महिलाओं के मासिक धर्म के कारण रक्तस्राव, स्वप्नदोष, प्रदर आदि रोग जो कि तमाम दवाइयाँ करने से भी नहीं मिटते, वे सब इस 'बेदाना' शीतल पेय से सात दिन में गायब होने लगते हैं। इसमें बहुत सारे गुण हैं लेकिन इसकी प्रकृति ठण्डी होने के कारण इसका प्रयोग सात दिन ही करना चाहिए। शरीर यदि अनुकूल रहे तो ज्यादा भी ले सकते हैं। ज्यादा दिन इसका प्रयोग करने वालों को मंदाग्नि की संभावना हो सकती है, इसलिए भोजन से पूर्व इन लोगों को अदरक, नमक और नींबू मिलाकर अवश्य खाना चाहिए।
इस निर्दोष वनस्पति का अंग्रेजी दवाइयों की तरह कोई साइड इफेक्ट या रिएक्शन नहीं होता है। आयुर्वैदिक पद्धति में जिस प्रकार की व्यवस्था है, उसी प्रकार का यह आयुर्वैदिक रोगनाशक टॉनिक है।









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