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सौन्दर्य-प्रसाधनों में छिपी हैं अनेक प्राणियों की मूक चीखें और हत्या

Posted by Hari Om ~ Thursday, 21 February 2013



सौन्दर्य-प्रसाधनों में छिपी हैं अनेक प्राणियों की मूक चीखें और हत्या

सौन्दर्य-प्रसाधन एक ऐसा नाम है जिससे प्रत्येक व्यक्ति परिचित है। सौन्दर्य प्रसाधनों का प्रयोग करके अपने को खूबसूरत तथा विशेष दिखने होड़ में आज सिर्फ नारी ही नहीं, वरन् पुरूष भी पीछे नहीं हैं।

हमें विभिन्न प्रकार के तेल, क्रीम, शैम्पू एवं इत्र आदि जो आकर्षक डिब्बे एवं बोतलों में पैक किये हुए मिलते हैं, उनमें हजारों-हजारों निरपराध बेजुबान प्राणियों की मूक चीखें छिपी हुई होती हैं। मनुष्य की चमड़ी को खूबसूरत बनाने के लिए कई निर्दोष प्राणियों की हत्या........ यही इन प्रसाधनों की सच्चाई है।

सेंट के उत्पादन में बिल्ली के आकार के बिज्जू नाम के प्राणी को बेंतों से पीटा जाता है। अत्यधिक मार से उद्विग्न होकर बिज्जू की यौन-ग्रंथि से एक सुगंधित पदार्थ स्रावित होता है। जिसको धारदार चाकू से निर्ममतापूर्वक खरोंच लिया जाता है जिसमें अन्य रसायन मिलाकर विभिन्न प्रकार के इत्र बनाये जाते हैं।

पुरुषों की दाढ़ी को सजाने में जिन लोशनों का उपयोग होता है उसकी संवेदनशीलता की परीक्षा के लिए चूहे की जाति वाले गिनी पिग हैं, जिनकी जान ली जाती है।

लेमूर जाति के लोरिस नामक छोटे बंदर की भी सुन्दर आँखों और जिगर को पीसकर सौन्दर्य प्रसाधन बनाये जाते हैं। इसी तरह केस्टोरियम नाम की गन्ध प्राप्त करने के लिए चूहे के आकार के बीबर नाम के एक प्राणी को 15-20 दिन तक भूखा रखकर, तड़पा-तड़पाकर तकलीफ देकर हत्या की जाती है।

मनुष्य की प्राणेन्द्रिय की परितृप्ति के लिए बिल्ली की जाति के सीवेट नाम के प्राणी को इतना क्रोधित किया जाता है कि अंत में वह अपने प्राण गंवा देता है। तब उसका पेट चीरकर एक ग्रंथि निकालकर, आकर्षक डिज़ाईनों में पैक करके सौन्दर्य प्रसाधन की दुकानों में रख देते हैं।
अनेक प्रकार के रसायनों से बने हुए शैम्पू की क्वालिटी को जाँच करने के लिए इसे निर्दोष खरगोश की सुंदर, कोमल आंखों में डाला जाता है। जिससे उसकी आँखों से खून निकलता है और अंत में वह तड़प-तड़पकर प्राण छोड़ देता है।

इसके अतिरिक्त काजल, क्रीम,लिपस्टिक, पावडर आदि तथा अन्य प्रसाधनों में पशुओं की चर्बी, अनेक पैट्रोकैमिकल्स, कृत्रिम सुगंध, इथाइल, जिरनाइन, अल्कोहल, फिनाइल, सिट्रोनेल्स,हाइड्राक्सीसिट्रोन आदि उपयोग किये जाते हैं। जिनसे चर्मरोग जैसे कि एलर्जी, दाद, सफेद दाग आदि होने की आशंका रहती है।


ये तो मात्र एक झलक है, पूरा अध्याय नहीं है। पूरा अध्याय तो ऐसा है कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते।

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