LATEST NEWS

शक्कर कितनी खतरनाक !

Posted by Hari Om ~ Tuesday, 19 February 2013


शक्कर कितनी खतरनाक !


चीनी के संबंध में वैज्ञानिकों के मत

"हृदयरोग के लिए चर्बी जितनी ही जिम्मेदार चीनी है। कॉफी पीने वाले को कॉफी इतनी हानिकारक नहीं जितनी उसमें चीनी हानि करती है।"
प्रो. ज्होन युडकीन, लंदन।


"श्वेत चीनी एक प्रकार का  नशा है और शरीर पर वह गहरा गंभीर प्रभाव डालता है।"
प्रो. लिडा क्लार्क


"सफेद चीनी को चमकदार बनाने की क्रिया में चूना, कार्बन डायोक्साइड, कैल्शियम, फास्फेट, फास्फोरिक एसिड, अल्ट्रामरिन ब्लू तथा पशुओं की हड्डियों का चूर्ण उपयोग में लिया जाता है। चीनी को इतना गर्म किया जाता है कि प्रोटीन नष्ट हो जाता है। अमृत मिटकर विष बन जाता है।
सफेद चीनी लाल मिर्च से भी अधिक हानिकारक है। उससे वीर्य पानी सा पतला होकर स्वप्नदोष, रक्तदबाव, प्रमेह और मूत्रविकार का जन्म होता है। वीर्यदोष से ग्रस्त पुरुष और प्रदररोग से ग्रस्त महिलाएँ चीनी का त्याग करके अदभुत लाभ उठाती हैं।"
डॉ. सुरेन्द्र प्रसाद



"भोजन में से चीनी को निकाले बिना दाँतों के रोग कभी न मिट सकेंगे।"
डॉ. फिलिप, मिचिगन विश्वविद्यालय


"बालक के साथ दुर्व्यवहार करने वाला माता-पिता को यदि दण्ड देना उचित समझा जाता हो तो बच्चों को चीनी और चीनी से बनी मिठाइयाँ तथा आइसक्रीम खिलाने वाले माता पिता को जेल मे ही डाल दिना चाहिए।"
फ्रेंक विलसन


इसी प्रकार नमक (सोडियम क्लोराइड) का प्रचलन भोजन में दिनोंदिन बढ़ता जा रहा है। चटपटे और मसालेदार खाद्य पदार्थों का सेवन नित्य-नियमितरूप से बढ़ता जा रहा है। शक्कर की तरह नमक भी हमारे शरीर के लिए अत्यधिक हानिकारक है। यह शरीर के लिए अनिवार्य है लेकिन स्वास्थ्य की दृष्टि से आवश्यक लवण की मात्रा तो हमें प्राकृतिक रूप से खाद्य पदार्थों द्वारा ही मिल जाती है। हमारे द्वारा उपयोग में लाई जाने वाली हरी सब्जियों से, अंकुरित बीजों आदि से हमारे शरीर में लवण की पूर्ति स्वतः ही हो जाती है।
कुछ वर्षों पूर्व ही एक ख्यातिप्राप्त समाचार पत्र ने अपने आलेख में प्रकाशित कर इस कथन की पुष्टि की थी कि नमक शरीर के लिए जहर से भी अधिक खतरनाक होता है। चिकित्सा विज्ञान के शोधकर्ताओं ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है कि रक्तचाप के रोगों का प्रमुख कारण ही नमक है, इसलिए हाई ब्लडप्रेशरवाले रोगियों को भोजन में नमक पर प्रतिबन्ध लगाया जाता है। नमक छोड़नेवाले इस रोग से मुक्त हो जाते हैं और जो नहीं छोड़ते वे इससे त्रस्त रहते हैं।
एक सर्वेक्षण से ज्ञात हुआ कि सुदूर वन्य एवं पर्वतीय क्षेत्रों में रहने वाले अनेक आदिवासियों के आहारक्रम में नमक का कोई स्थान नहीं है। आधुनिक सुविधाओं से वंचित् वे लोग स्वास्थ्य की दृष्टि से आज भी हमसे अधिक हृष्ट-पुष्ट एवं स्वस्थ हैं। शक्कर व नमक की पूर्ति वे खाद्य पदार्थों से ही कर लेते हैं।
नमक और शक्कर के अधिक सेवन से शरीर की रोगप्रतिकारक क्षमता का ह्रास होता है तथा उसे अनेक रोगों से जूझना पड़ता है।
अतः जिन्हें दीर्घायु होना है, सदैव स्वस्थ व प्रसन्न बने रहना है, साधनामय जीवन बिताना है, ऐसे लोग शक्कर एवं नमक को पूर्णरूपेण त्याग देवें अथवा सप्ताह में एक या दो बार नमक-शक्कररहित आहार लेते हुए, दैनिक जीवन में इनका अत्यल्प सेवन करें।
साधक परिवारों में खाद्य पदार्थों में नमक-शक्कर का अत्यन्त अल्प सेवन करना चाहिए। इससे आरोग्यता, प्रसन्नता बनी रहेगी तथा ईश्वरभक्ति में अधिक मदद मिलेगी।





Categories
Tags

Related Posts

No comments:

Leave a Reply

Labels

Advertisement
Advertisement

teaser

teaser

mediabar

Páginas

Powered by Blogger.

Link list 3

Blog Archive

Archives

Followers

Blog Archive

Search This Blog