विज्ञान भी सिद्ध कर रहा है प्रभुनाम की महिमा
विज्ञान भी सिद्ध कर रहा है प्रभुनाम की महिमा
भगवन्नाम-जप से रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ती है, अनुमान शक्ति जगती है,स्मरणशक्ति और शौर्यशक्ति का विकास होता है।
संत श्री आशारामजी बापू के सत्संग प्रवचन से
नानक जी ने बड़ी ही सुंदर बात कही है-
भयनाशन दुर्मति हरण, कलि में हरि को नाम।
निशदिन नानक जो जपे, सफल होवहिं सब काम।।
भगवन्नाम में, मंत्रजप में बड़ी अदभुत शक्ति है। इसे वैज्ञानिक भी स्वीकार कर रहे हैं। अभी डॉ. लिवर लिजेरिया,वॉटस हक, मैडम लॉगो तथा दूसरे वैज्ञानिक कहते हैं कि ह्रीं, हरि, ૐ आदि के उच्चारण से शरीर के विभिन्न भागों पर भिन्न-भिन्न हितकारी असर पड़ता है। 17 वर्षों के अनुभव के पश्चात उन्होंने यह खोज निकाला कि ʹहरिʹ के साथ अगर ʹૐʹ शब्द मिलाकर उच्चारण किया जाय तो पाँचों ज्ञानेन्द्रियों पर उसका प्रभाव अच्छा पड़ता है। किंतु भारत के ऋषि-मुनियों ने इससे भी अधिक जानकारी हजारों-लाखों वर्ष पहले शास्त्रों में वर्णित कर दी थी।
भगवन्नाम जप से केवल स्थूल शरीर को फायदा होता है ऐसी बात नहीं है वरन् इससे हमारे अन्नमय,प्राणमय, मनोमय,विज्ञानमय और आनंदमय इन पाँचों शरीरों पर, समस्त नाड़ियों पर तथा सातों केन्द्रों पर बड़ा सात्त्विक प्रभाव पड़ता है।
सारस्वत्य मंत्र के प्रभाव से बुद्धि कुशाग्र होती है, स्मरणशक्ति विकसित होती है। ग्रीष्मकालीन अवकाश में या अन्य छुट्टिय़ों के समय सारस्वत्य मंत्र का अनुष्ठान करके बच्चे इसका अधिकाधिक लाभ उठा सकते हैं।
पहले के गुरुकुलों में लौकिक विद्या के साथ-साथ विद्यार्थियों की सुषुप्त शक्तियाँ भी जाग्रत हों, ऐसी व्यवस्था थी। यदि आज का विद्यार्थी शास्त्रों में वर्णित और वैज्ञानिकों द्वारा सिद्ध इन प्रमाणों को समझ लें और किन्हीं ब्रह्मवेत्ता महापुरुष से मंत्रदीक्षा प्राप्त कर ले तो वह आज भी अपनी सुषुप्त शक्तियों को जागृत करने की कुंजियाँ पाकर अपने जीवन को व औरों को भी समुन्नत कर सकता है।
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