LATEST NEWS

सगर्भावस्था के दौरान आचरण

Posted by Hari Om ~ Tuesday, 19 February 2013


सगर्भावस्था के दौरान आचरण


सगर्भावस्था में गर्भिणी अपानवायु, मल,मूत्र, डकार,छींक, प्यास,भूख, निद्रा,खाँसी,थकानजनित श्वास,जम्हाई, अश्रु इन स्वाभाविक वेगों को न रोके तथा प्रयत्नपूर्वक वेगों को उत्पन्न न करे।
सख्त व टेढ़े स्थान पर बैठना, पैर फैलाकर और झुककर ज्यादा समय बैठना वर्जित है।
आयुर्वेद के अनुसार नौ मास तक प्रवास वर्जित है।
चुस्त व गहरे रंग के कपड़े न पहने।
दिन में नींद व रात्रि को जागरण न करे। दोपहर को विश्रान्ति ले र गहरी नींद वर्जित है।
अप्रिय बात न सुने व वाद-विवाद में न पड़े। मन में उद्वेग उत्पन्न करने वाले बीभत्स दृश्य, टी.वी. सीरियल न देखे व ऐसे साहित्य,कथाएँ पढ़े सुने नहीं। रेडियो व तीव्र ध्वनि भी न सुने।
सगर्भावस्था के दौरान समागम सर्वथा वर्जित है।
मैले,विकलांग या विकृत आकृति के व्यक्ति,रजस्वला स्त्री, रोगी एवं हीन शरीर वाले का स्पर्श न करे।
दुर्गन्धयुक्त स्थान पर न रहे तथा इमली के वृक्ष के नजदीक न जाय।
जोर से न बोले और गुस्सा न करे।
सीधे न सोकर करवट बदल-बदलकर सोये। घुटने मोड़कर न सोये।
शरीर के सभी अंगों को सौम्य कसरत मिले, इस प्रकार घर के कामकाज करते रहना चाहिए।
दर्द-निवारक (पेनकिर) व नींद की गोलियों का सेवन न करे।
कुछ देर तक शुद्ध हवा में टहलना लाभदायक है।
सगर्भावस्था में प्राणवायु की आवश्यकता अधिक होती है,इसलिए दीर्घ श्वसन व हल्के प्राणायाम का अभ्यास करे। पवित्र, कल्याणकारी,आरोग्यदायक भगवन्नाम ''कार का गुंजन करे।
मन को शांत व शरीर को तनावरहित रखने के लिए प्रतिदिन शवासन का अभ्यास अवश्य करे।
शांति होम एवं मंगल कर्म करे। देवता,ब्राह्मण तथा गुरुजनों की पूजा करे।
भय, शोक,चिंता व क्रोध को त्यागकर नित्य आनंद में रहे।
गर्भिणी पलाश के एक ताजे कोमल पत्ते को पीसकर गाय के दूध के साथ रोज ले। इससे बालक शक्तिशाली और गोरा उत्पन्न होता है। माता-पिता भले काले वर्ण के हों लेकिन बालक गोरा होता है।








Related Posts

No comments:

Leave a Reply

Labels

Advertisement
Advertisement

teaser

teaser

mediabar

Páginas

Powered by Blogger.

Link list 3

Blog Archive

Archives

Followers

Blog Archive

Search This Blog