न करने जैसी शारीरिक क्रियाएँ
पूर्व या उत्तर की ओर मुँह करके हजामत बनवानी चाहिए। इससे आयु की वृद्धि होती है। हजामत बनवाकर बिना नहाये रहना आयु की हानि करने वाला है।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
हाथ-पैर के नाखून नियमित रूप से काटते रहो। नख के बढ़े हुए मत रखो।
अपने कल्याण के इच्छुक व्यक्ति को बुधवार व शुक्रवार के अतिरिक्त अन्य दिनों में बाल नहीं कटवाने चाहिए।
सोमवार को बाल कटवाने से शिवभक्ति की हानि होती है। पुत्रवान को इस दिन बाल नहीं कटवाने चाहिए। मंगलवार को बाल कटाना मृत्यु का कारण भी हो सकता है। बुधवार को बाल, नख काटने-कटवाने से धन की प्राप्ति होती है। गुरुवार को बाल कटवाने से लक्ष्मी और मान की हानि होती है। शुक्रवार लाभ और यश की प्राप्ति कराने वाला है। शनिवार मृत्यु का कारण होता है। रविवार तो सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है।
मलिन दर्पण में मुँह न देखें। (महाभारत, अनुशासन पर्व)
सिर पर तेल लगानि के बाद उसी हाथ से दूसरे अंगों का स्पर्श नहीं करना चाहिए।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
पुस्तकें खुली छोड़कर न जायें। उन पर पैर न रखें और उनसे तकिये का काम न लें। धर्मग्रन्थों का विशेष आदर करते हुए स्वयं शुद्ध, पवित्र व स्वच्छ होने पर ही उन्हें स्पर्श करना चाहिए। उँगली मे थूक लगाकर पुस्तकों के पृष्ठ न पलटें।
दूसरे के पहने हुए कपड़े, जूते आदि न पहनें।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
हाथ-पैर से भूमि कुरेदना,तिनके तोड़ना,बार-बार सिर पर हाथ फेरना,बटन टटोलते रहना – ये बुरे स्वभाव के चिह्न हैं। अतः ये सर्वथा त्याज्य हैं।
आसन को पैर से खींचकर या फटे हुए आसन पर न बैठें।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
सत्संग से उठते समय आसन नहीं झटकना चाहिए। ऐसा करने वाला अपने पुण्यों का नाश करता है।
जूठे मुँह पढ़ना-पढ़ाना,शयन करना,मस्तक का स्पर्श करना कदापि उचित नहीं है।
यमराज कहते हैं- 'जो मनुष्य जूठे मुँह उठकर दौड़ता और स्वाध्याय करता है, मैं उसकी आयु नष्ट कर देता हूँ। उसकी सन्तानों को भी उससे छीन लेता हूँ। जो अनध्याय के समय भी अध्ययन करता है, उसके वैदिक ज्ञान और आयु का नाश हो जाता है।'
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
जिसके गोत्र और प्रवर अपने ही समान हों तथा जो नाना के कुल में उत्पन्न हुई हो, जिसके कुल का पता न हो, उसके साथ विवाह नहीं करना चाहिए।
(महाभारत, अनुशासन पर्व)
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