LATEST NEWS

0 commentFriday 29 March 2013



कहीं चपेट में न ले लें बरसाती बीमारियां

बरसात आते ही क्लीनिक में अपच, फूड पॉयजनिंग, हैजा, पेचिस के मामले आने लगते हैं। ऐसे में साफ-सफाई, भोजन और कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है,
झुलसाती गर्मी के बाद आई रिमझिम बौछारों से तन-मन सब भीग कर उल्लसित हो उठता है। लेकिन इस मौसम का आनंद लेने में यह न भूल जाएं कि पेट की असंख्य बीमारियों को भी यही मौसम लेकर आता है। यदि थोडी-सी सावधानी और सजगता बरतें तो आप कई घातक बीमारियों से दूर रह सकते हैं।

अपच

यह इस मौसम की सबसे सामान्य बीमारी है और बहुत से रोगों की जनक भी है। इस मौसम में हमारा पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है। जल्दी खाने और ज्यादा खाने से दिक्कत पैदा होती है। इसके अलावा कार्बोनेटेड पेय पीने, ज्यादा तला-भुना खाने, फाइबर की अधिकता वाला भोजन करने से ये समस्या होती है। ज्यादा कैफीन, शराब, धूम्रपान के साथ चिंता व अवसाद भी बहुत तेजी से इस समस्या को बढ़ाता है। यह बढ़ जाए तो गैस्ट्राइटिस, अल्सर, गॉल ब्लेडर में स्टोन आदि समस्या भी पैदा कर सकती है।

लक्षण

पेट में बेचैनी, गले व छाती में जलन, नॉशिया महसूस होना और बार-बार मोशन होना आदि इनके सामान्य लक्षण हैं। दरअसल, पेट में बनने वाले एसिड ज्यादा होने पर उल्टे रास्ते फूड पाइप में आ जाते हैं, जिससे बेचैनी होने लगती है।

उपचार

घरेलू उपचार के लिए अदरक का जूस नींबू के रस के साथ और काला नमक व अजवाइन का सेवन फायदेमंद होता है। अच्छे पाचन के लिए कुछ दवाएं भी बाजार में उपलब्ध हैं। खाना समय पर खाएं, जो ताजा हो व अच्छी तरह से पका हो।

फूड पॉयजनिंग

गलत खान-पान से फूड पॉयजनिंग की तकलीफ होना इस मौसम की आम समस्या है। यह उस खाने को खाने से होता है, जिसमें इकोली, सलमोनेला व स्टेफिलोकॉक जैसे बैक्टीरिया मौजूद हों। खराब खाना खाने के छह घंटे के अंदर लक्षण दिखने लगते हैं।

लक्षण

पेट में दर्द, उल्टी, चक्कर, सिर दर्द, ठंड लगना, डायरिया आदि इसके मुख्य लक्षण हैं। इस स्थिति में कमजोरी महसूस होती है। उपचार
डायरिया अपने आप ही ठीक हो जाता है, जब शरीर से टॉक्सिन बाहर निकल जाते हैं, लेकिन डिहाइड्रेशन के लिए डॉक्टरी सलाह और मेडिकेशन जरूरी है। इसके लिए तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। इलाज आरंभ होने के 12 से 48 घंटे के बीच आराम आ जाएगा। पानी की कमी न हो इसके लिए तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाएं। बार-बार हाथ साफ करें और खाने के बर्तनों की भी सफाई का ध्यान रखें।

हैजा

यह एक प्रकार का संक्रामक आंत्रशोथ है, जो वाइब्रियो कॉलेरी नामक जीवाणु द्वारा टॉक्सिन उत्पन्न करने के कारण होता है। आम तौर पर यह मक्खी, मच्छरों और कॉक्रोच से फैलता है। यह रोग इस जीवाणु से ग्रसित भोजन या पानी ग्रहण करने से होता है। इसके बैक्टीरिया पानी में दो सप्ताह और बर्फ में चार से छह सप्ताह तक जीवित रहते हैं। ये ऐसे कीटाणु हैं, जो हमारे घर में ही मौजूद रहते हैं।

 लक्षण

पेट में मरोड़, अनियंत्रित दस्त, रक्तचाप का गिरना व नब्ज का संयमित न रहना मुख्य लक्षण हैं।

सावधानी

अपने घर को साफ रखें, घर में मक्खी-मच्छर और कॉक्रोच न रह पाएं, इस बात का खास ख्याल रखें। कच्ची सब्जियों को साफ पानी से धोएं, जिससे बैक्टीरिया नष्ट हो जाएं।

 उपचार

पूरा आराम करें, तरल पदार्थों का सेवन बढ़ाएं, जिससे शरीर में पानी की कमी न हो पाए। नारंगी जूस और नमक चीनी का घोल या इलेक्ट्रॉल लें। डॉक्टरी सलाह पर अमल करें। खाने का रखें ध्यान
बारिश के मौसम में हमारा पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है, इसलिए अपने खाने का ध्यान रखें। रेड मीट और रूट वेजिटेबल्स कम खाएं। हरी पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक और पत्ता गोभी में भी छोटे कीड़े और उनके अंडे होते हैं। इन्हें खाना भी है तो गुनगुने पानी से धोकर खाएं। बादाम, पनीर, दालें, अंकुरित अनाज, बेसन आदि में भरपूर मिनरल्स व प्रोटीन हैं। ताजा नींबू और पुदीना नियमित लें।

सावधानी है जरूरी


ध्यान रहे कि 90 प्रतिशत बीमारियां पेट से जुड़ी होती हैं और इनमें से ज्यादातर बीमारियों की वजह होती है दूषित पानी का सेवन। इस मौसम में पीने का पानी साफ मिले यह जरूरी नहीं, इसलिए पानी को पंद्रह मिनट उबाल कर ठंडा कर छान कर पीना चाहिए। इस मशक्कत से बचना चाहते हैं तो वॉटर प्यूरीफायर का इंतजाम करें। हर बार कुछ खाने से पहले हाथ साबुन से धोएं। याद रहे कि टैक्सी, बस, ऑटो, वॉशरूम के अलावा खांसने और छींकने से भी बहुत से जर्म्स आपके हाथों से पेट में पहुंचते हैं। हर जगह और हर समय साबुन और पानी हो यह जरूरी नहीं। इसलिए एक बोतल पानी घर से लेकर चलें।


0 commentThursday 28 March 2013



वर्षा ऋतु में अपनाएं स्वास्थ्य संबंधी सावधानियां

आदान काल में मनुष्य का शरीर दुर्बल रहता है | दुर्बल शरीर में जठराग्नि दुर्बल होती है | वर्षा ऋतु में दूषित वात, पित्त, कफ के कारण जठराग्नि और भी क्षीण हो जाती है | वर्षाकाल में साधारण रूप से सभी नियमों का पालन करना चाहिए |
वर्जित आहार विहार :- इस ऋतु में सत्तू का सेवन, दिन में सोना, ओस में घूमना फिरना, नदी नालों पोखरों तालाबों का जल सेवन, और अधिक स्त्री संसर्ग छोड़ देना चाहिए |
सेवनीय अहार विहार :- वर्षा ऋतु में मधु का सेवन करना चाहिए | विशेष दिनों में अम्लरस तथा लवणरस वाले और चिकनाई युक्त भोजन करने चाहिए | भोजन में गेहूं, चावल अवश्य प्रयोग करने चाहिए | इनको संस्कारित मूंग के रस के साथ लेना चाहिए | मदिरा का शौक रखने वाले थोड़ी मात्रा में मदिरा का
सेवन करना चाहिए एवं मधु मिलाकर जल का सेवन करें | वर्षा ऋतु में गर्म करके शीतल किया हुआ जल सेवन करना चाहिए  | उबटन, स्नान तथा चंदन आदि गंध युक्त द्रव्यों का प्रयोग करें





वर्षाकाल में निम्न बातों का ध्यान रखना आवश्यक है –

  • हर स्थान का पानी न पिएं | घर से पानी पीकर निकलें | यदि पिएं भी तो शुद्ध जल, क्योंकि वर्षाकाल में दूषित जल पीने से रोग हो जाते है |
  • वर्षा ऋतु के प्रभाव से वात का प्रकोप रहता है | अतः वात कुपित करने वाला आहार विहार नहीं करना चाहिए |
  • जहां तक संभव हो शाम का भोजन सूर्यास्त से पहले ही कर लें | सूर्य अस्त होने के बाद जठराग्नि मंद हो जाती है जिससे भोजन देर में पचता है |
  • वर्षाकाल के आरंभ में गाय भैंस नई नई पैदा हुई घास खाती है | अतः श्रावण मास में दूध नहीं पीना चाहिए | अंतिम समय में पित्त कुपित लगता है | अतः इन दिनों में भाद्रपद मास में छाज नहीं पीनी चाहिए |
  • वर्षाकाल में जीव जंतु और जहरीले कीड़े भूमि पर विचरते है | अत: वात कुपित करें वाला आहार विहार नहीं करना चाहिए |
  • जब आसमान में बादल छाए हो तब जुलाब न लें | देर रात को भोजन न करें और शाम को गरिष्ठ और देर से हजम होने वाला आहार ग्रहण न करें |
  • यदि बारिश में भीग जाएं तो तुरंत गीले कपड़ें उतार दें और सूखे कपड़ें पहन ले | ज्यादा देर गीले बदन न रहे |
  •  वर्षा ऋतु में नदी तालाब अज्ञात जलाशय और उफनती नदी में स्नान करना और ज्यादा देर तक तैरना उचित नहीं |



0 commentSaturday 23 March 2013



नीम तेल

दाद, खाज, खुजली तथा
चर्म रोग पर लगायें ,कुष्ठ-
रोग, विषमज्वर, फिलपाँव,
सड़े घाव तथा आमवात
में 5 से 10 बूंद प्रयोग करे।


(1)        Product Name :- Achyutaya Neem Tel
(2)        Quantity :- 100 ml
(3)            Direction For Use :- Gently massage over affected part OR as directed by physician.
(4)            Benefits :- Useful in skin infestation viz. ringwarm(Tinea cruries, Tinea capitis, Tinea barbae), scabies & alopecia, eczema, idiopathic age related itching.
(5)            Main Ingredientns :-  Azadirachta Indica (Neem tel). 
















0 commentSunday 17 March 2013


रड़े चूर्ण(Harde Churna)

कब्ज ,पाण्डुरोग ,अग्निमांध,आम,पुराना अजीर्ण-रोग,ग्रहणी,जीर्णज्वर,उदररोग,प्लीहा वृद्धि,पेट के कृमि,सूजन आदि को दूर करता है।नियमित सेवन से संपूर्ण शरीर की शुद्धि कर दीर्घायुष्य प्रदान करता है ।

(1)Product Name :- Harde churna
 (2)Quantity :- 100 g.
 (3)Direction For Use :- 2 to 6 g. at night or morning empty stomach with lukewarm water ( Dose depends upon age, weight & illness of the individuals). OR Use as directed by physician.
             Note :- Do not take milk 2 hr. before & 2 hr. after medicine.
(4)Benefits :- Harad churna increases apetite,memory,delays aging and regulate peristalsis.
         Therefore useful in anorexia,indigestion,gas trouble,constipation,sprue,piles,worm infestation,jaundice,liver,spleen,heart & skin disease.
         Also used in cough, hiccough & asthma.
(5)Main Ingredients :- Terminalia Chebula (Harad)  












Labels

Advertisement
Advertisement

teaser

teaser

mediabar

Páginas

Powered by Blogger.

Link list 3

Blog Archive

Archives

Followers

Blog Archive

Search This Blog