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अच्युताय च्यवनप्राश केशर ( Achyutaya Kesharyukta Chyawanprash )

Posted by Hari Om ~ Sunday, 17 March 2013



अच्युताय च्यवनप्राश केशर(Achyutaya Kesharyukta Chyawanprash)


सुवर्ण,चाँदी,लोह व् ताम्र सिद्ध जल में उबले हुए वीर्यवान
आँवलो में 56 बहुमूल्य जड़ी-बूटियों के साथ हिमालय से
लायी गयी दिव्यौषधि वज्रबला तथा चाँदी,लोह,बंग व
अभ्रक भष्म एवं शुद्ध केसर मिलाकर गाय के घी में आश्रम
के पवित्र वातावरण में वैदिक मन्त्रोच्चार के साथ इस रसायन
को बनाया गया है ।नैसर्गिक जीवन तत्वों व शक्तिशाली
खनिज द्रव्यों से भरपूर होने के कारण यह शरीर की समस्त
आवश्यकताओं की पूर्ति व कोशिकाओं का नवनिर्माण करता
है ।इस च्यवनप्राश का सेवन स्वस्थ या रुग्ण, युवक, वृद्ध,
दुर्बल, स्त्रीसंभोग से क्षीण, श्वास, राजयक्ष्मा,ह्रदयरोग से
पीड़ित सभी लोग सब ॠतुओं में कर सकते है ।

आश्रम के संतो व आयुर्वेदाचार्यो दवारा
परीक्षणों के बाद इस अद्वितीय व अमूल्य
च्यवनप्राश का निर्माण किया गया है ।

बुद्धि, तेज, वीर्य, उत्साह, प्रसन्नता को
बढाकर, नवचेतना प्रदान करता है ।
बुढ़ापा दूर होकर चिरयौवन,दीर्घायु की
प्राप्ति व रोगों से सुरक्षा होती है ।

यह ह्रदय,यकृत, व फेफडों को
बल प्रदान कर शरीर को हष्ट-पुष्ट
व शक्तिशाली बनाता है ।   


(1)Product Name :-  Achyutaya Kesharyukta Chyawanprash 
(2)Quantity :- 1000 gm. / 500 gm.
(3)Direction For Use :- 1 to 2 t.s.f. once or twice a day on empty stomach ( Dose depends upon age, weight & illness of the individuals) OR as directed by physician.  
(4)Benefits :- By virtue of keshar & powerful bhasma specially useful for persons with heavy mental work, weakness, anaemia, spermatorrhoea, night fall, sexual dysfunction etc.
             By using this divine rasayan Old Chyawan Rushi regained youth.
           It improves & maintains youth, memory, grasping power, skin glow, physical strength.
           Useful in chronic deabilitating diseases, T.B., chronic respiratory tract disorders, malnourished & thin built individuals.
          Useful in male & female infertility. The best health booster for daily use in all age group.
(5) Main Ingredients :- Saffron(keshar), Emblica officinalis(amla), Boerhaavia Diffusa(punarnava) and more than 56 divine medicine from himalaya.









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